The Basic Principles Of sidh kunjika



देवी माहात्म्यं चामुंडेश्वरी मंगलम्

गोपनीयं प्रयत्नेन स्वयोनिरिव पार्वति।

देवी वैभवाश्चर्य अष्टोत्तर शत नामावलि

न तस्य जायते सिद्धिररण्ये रोदनं यथा ॥ १५ ॥

उत्तर प्रदेश और उत्तराखंडबिहारहरियाणाराजस्थानमहाराष्ट्रगुजरातमध्य प्रदेशझारखंडछत्तीसगढ़दिल्ली एनसीआरपंजाब

Salutations towards the Goddess who's got the shape of root chants Who through the chant “Purpose” has the form from the creator Who because of the chant “Hreem” has the form of one who can take care of almost everything And who via the chant “Kleem” has click here the form of passion

देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति तृतीयोऽध्यायः

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ करने से विपदाएं स्वत: ही दूर हो जाती हैं और समस्त कष्ट से मुक्ति मिलती है। यह सिद्ध स्त्रोत है और इसे करने से दुर्गासप्तशती पढ़ने के समान पुण्य मिलता है।

दकारादि श्री दुर्गा सहस्र नाम स्तोत्रम्

विच्चे चा ऽभयदा नित्यं, नमस्ते मन्त्ररूपिणि।।

It is best to be certain that you don’t recite it with any sick emotions or with any unfavorable intentions. 

ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ज्वल हं सं लं क्षं फट् स्वाहा ॥ ५ ॥

नमस्ते रुद्ररूपिण्यै नमस्ते मधुमर्दिनि।

देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति तृतीयोऽध्यायः

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